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ऐसा क्या हो गया पिछले ३ सालों में की भारत के वातावरण में जहरीली हवाएं बहने लगी मुझे समझ में नही आया…
सिवाय इसके कि पिछले २ वर्षों मे की कोई बड़ा घोटाला नहीं पकड़ा गया।
सिवाय इसके कि अर्थव्यवस्था मे थोड़ा सुधार आया, सिवाय इसके कि विदेशी संबंध सुधरे हैं।
सिवाय इसके कि नौकरीयो मे होने वाली धांधली कम हुई है।
सिवाय इसके कि सरकारी तंत्रों कि हालत सुधरी हैं।
कुछ दिन पहले कन्हैया जी का लगातार ५० मिनट का भाषण सुना था और सोच रहा था कि पुरे ५० मिनट मे वो लगातार मोदी,स्मृति ईरानी, भा ज पा और आर एस एस को गाली देते रहे,
कहा जाता है कि “संघर्षों के साये मे असली आजादी पलती है इतिहास उधर मुड़ जाता है जिस ओर जवानी चलती है” कहां लेकर जायेंगे भारत माता के ये नौजवान उनको?
कहते कन्हैया जी के न्याय व्यवस्था में पुरा विश्वास है और सुप्रीम कोर्ट ने ही तो घोषित किया था अफजल देश द्रोही था तो फिर क्यों नारा लगाया आपने साथीयों के साथ कि ” अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं •••••• कितने अफजल मारोगे हर घर से अफजल निकलेगा”
बात करते हैं समाजवाद, पूंजीवाद,गरीबी और भूखमरी कि पर कन्हैया जी ये भी तो बतायें कब से हैं ये समस्याएँ, पहले भी थी कि पिछले ३ वर्षों मे मोदी जी और भा ज पा ने ही पैदा कर दिया है।
आप कहते हैं कि आपको भारत से नहीं भारत मे आजादी चाहिए, आपका भाषण पूरी तरह राजनीति से प्रेरित था ।।
कन्हैया जी शुक्र है माननिय सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश मै नहीं था वरना सच मे आप आजादी के लिये तड़प गए होते।।।
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