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जहाँ के बारे मे इकबाल जी ने कहा है कि ” सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा “
वहीं का एक मुस्लिम शायर कहता है कि ” सदियों से यहीं पर रहता है जाने कितने दुख सहता है, भीगी पलको से इक बेटा भारत माँ से ये कहता है, पुरखे हम सबकी गोद मे तेरे खाक ओढ़कर लेटे हैं, माँ हम भी तेरे बेटे हैं
माँ हम भी तेरे बेटे हैं ,माँ हम भी तेरे बेटे हैं ।।।
वो मुस्लिम शायर इमरान प्रतापगढ़ी हैं तो क्या इमरान भाई पुरखों के शहादत की किमत चाहिये आपको???
वो कहते हैं कि अगर science मुस्लिम हाथों मे थमा दिया जाए तो वो कलाम बन जाते हैं, music मुस्लिम हाथों मे थमा दिया जाए तो वो रहमान बन जाते हैं,
और अगर rackets मुस्लिम हाथों मे थमा दिया जाए तो वो सानिया मिर्जा बन जाते हैं,
भाई इमरान आप ये क्यों भूल जाते हैं कि हथियार हाथों मे लेकर हाजी मस्तान, अफजल, अबू सलेम, भी तो बन जाते हैं आप, देश के खिलाफ जहर उगलने वाले जहरीले सांप अस्सुद्दिन और अकबरुद्दिन ओबैशी भी तो आप ही बन जाते हैं।
जो सम्मान के लायक हैं उनका सम्मान होना चाहिये और कलाम जी हर हिन्दू घर मे ईश्वर की तरह पुजे जाते हैं।
इमरान भाई आप कहते हैं कि लालकिला और ताजमहल जिस पर हम इतराते हैं वो आप के परखों कि जागीरें हैं तो क्या आप के पुरखे हमारे नहीं हैं। अगर नहीं फिर तो आप ही अपना नहीं समझ रहें हैं हमें। तो फिर कहाँ अधिकार रहा आपको भारत माँ से शिकायत करने का हक।
शायर का काम प्रेम फैलाना होता है ये नफरतों वाली राह कहां से पकड़ ली आपने ????
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